क्या लिखूं,,??
आज सोचा कुछ लिखूं,,
पर क्या,, और किस पर लिखूं,,??
सोचा कुछ इंसानियत पर लिखूं
पर,,, वो तो अब बची नहीं,,
सोचा कुछ प्रकृति पर लिखूं,,
पर वो बेचारी तो दम तोड रही,,
फिर सोचा कुछ रिश्तों पर ही लिखूं
पर् वो भी तो अब रहे नहीं,,
इस पर लिखूं उस पर लिखूं,,
किस पर लिखूं ,,??
दिमाग हर तरफ दौड़ आया,,
पर कुछ समझ न आया,,
तबस्सुम बस सोचती ही रह गई,,
और कविता अधूरी ही रह गई,,,,